वैश्वीकरण को परिभाषित करें ?वैश्वीकरण के विभिन्न आयामों की व्याख्या कीजिये।
वैश्वीकरण अर्थात भूमंडलीकरण या जगतीकरण एक प्रक्रिया है ,जबकि वैश्वीकृत विश्व लक्ष्य
,जिसे हासिल किया जाना है। इसके लिए वैश्वीकरण की कोई सार्वभौमिक व सुनिश्चित
परिभाषा नहीं है। सामान्यतः वैश्वीकरण से अभिप्राय भौगोलिक सीमाओं का न होना तथा
भौगोलिक दूरियों को समाप्ति को माना जाता है। अर्थात प्रत्येक राष्ट्र अपनी सीमाओं के
बाहर जाकर अन्य राष्ट्रों के साथ अपनी संबंधों को स्थापित करता है। घरेलु बाजार में सक्रीय
बाजारों से बाहर जाकर अपनी क्रिया विधि को करना ही वैश्वीकरण कहलाता है। स्थानीय
या क्षेत्रीय वस्तुओं या घटनाओं के विश्व स्तर पर रूपांतरण की प्रक्रिया है। इसे एक ऐसी
प्रक्रिया का वर्णन करने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है जिसके द्वारा पुरे विश्व के लोग
मिलकर एक समाज बनाते है तथा एक साथ कार्य करते है
वैश्वीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है ,जिसके चार आयाम है, आर्थिक ,राजनितिक
,सांस्कृतिक और प्रौद्योगिकी। इन चारों आयामों के जहाँ कुछ सकारात्मक प्रभाव एंव
परिणाम है ,वही इनके कुछ नकारात्मक प्रभाव एंव परिणाम भी है।
आर्थिक आयाम : वैश्वीकरण का सबसे महत्वपूर्ण आयाम आर्थिक आयाम है। इसमें बाजार
,निवेश ,उत्पादन एंव पूंजी का प्रवाह आते है। विश्व के लगभग तमाम विकासशील और
अविकसित राष्ट्रों के पास निवेश के लिए पूंजी यानी प्रत्यक्ष निवेश के चाहत लगातार बढती
जा रही थी ,ताकि वे अपने राष्ट्र का विकास कर सकें। वैश्वीकरण के आर्थिक आयाम को हम
निम्न प्रकार से समझ सकते है।
सकारात्मक प्रभाव : आज वैश्वीकरण के कारण पूरी दुनिया में वस्तुओं के व्यापर में बढ़ोतरी
हुई है। पहले अलग -अलग राष्ट्र अपने यहाँ दूसरे राष्ट्रों से होने वाले आयात पर प्रतिबन्ध और
भरी भरकम टैक्स लगाते थे ,लेकिन अब यह प्रतिबन्ध कम हो गए है। वैश्वीकरण के कारण
दुनिया के राष्ट्रों के बीच व्यापार काफी बढ़ा है ,जिस कारण वैश्वीकरण में शामिल इन राष्ट्रों
की बीच आपसी निर्भरता भी काफी बढ़ी है।
नकारात्मक प्रभाव :- वैश्वीकरण के कारण जहाँ बड़ी -बड़ी कम्पनिया राष्ट्र में आती है ,वहीँ
छोटी -छोटी देसी कम्पनिया एंव स्थानीय स्तर पर होने वाले लघु एंव कुटीर उद्योग धीरे -धीरे
तकनीक और गुणवत्ता की रेस में पिछड़ते हुए समाप्त होते जा रहे है।
राजनितिक आयाम :- वैश्वीकरण के कारण राष्ट्र द्वारा किये जाने वाले कार्यों में व्यापक
बदलाव आया। वैश्वीकरण की इस अंधी दौड़ में शामिल सरकारों को यह तय करने का
अधिकार कम कर दिया है कि अपने राष्ट्रवासियों के लिए क्या अच्छा है और क्या बुरा।
सकारात्मक प्रभाव :- वैश्वीकरण के समर्थकों का मानना है कि वैश्वीकरण के कारण राष्ट्र
पहले की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली हुए है। आज उत्पादन वैश्विक स्तर पर किया जा रहा है।
नकारात्मक प्रभाव :- वैश्वीकरण के आलाचकों का मानना है की इसके कारण राष्ट्रों के
कार्य करने की क्षमता में कमी आयी है। अब विभिन्न राष्ट्रों की सम्प्रभुता यानी निर्णय करने
की शक्ति कमजोर हुई है। पुरे विश्व में कल्याणकारी राष्ट्र की जनकल्याण नीतियां प्रभावित
हुई है।
सांस्कृतिक आयाम : - वैश्वीकरण के इस तूफान ने दुनिया के हर हिस्से ,समाज एंव समुदाय
को प्रभावित किया है। संस्कृतियों का फैलाव अब केवल कला या संगीत के जरिये नहीं
,बल्कि विश्व व्यापार संगठन जैसे संगठनों के नेटर्किंग के जरिये हो रहा है। वैश्वीकरण के
सांस्कृतिक आयाम को हम निम्न प्रकार से समझ सकते है।
सकारत्मक प्रभाव :- वैश्वीकरण की प्रक्रिया में लोगों का एक राष्ट्र से दूसरे राष्ट्र में आवागमन
महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उदहारण स्वरुप भारतीय लोग थाईलैंड ,मलेशिया
,मॉरीशस ,सिंगापूर गए और साथ -साथ वहां भारतीय संस्कृतिक को भी ले गए। वैश्वीकरण
की प्रक्रिया को बरगराजेशन कहा जाता है।
नकारात्मक प्रभाव :- विकासशील और अविकसित राष्ट्र खासकर अमेरिकी सांस्कृतिक पर
प्रभुत्व के शिकार है। इसके नकारात्मक पक्षों में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि पश्चिम
जीवन मूल्यों ने विकासशील राष्ट्रों की जनता खासकर बच्चे और युवा जल्द से जल्द आमिर
बन पाश्चात्य दैनिक जीवन की सभी सुख सुविधाएँ हासिल करना चाहते है।
प्रौद्योगकी आयाम : वैश्वीकरण एक ऐसी व्यवस्था है जिसका उदय विज्ञानं तथा प्रौद्योगिकी
के क्षेत्रों में हुए विकास के कारण हुआ एंव जिसका उपयोग व्यापार तथा वाणिज्य के क्षेत्र में
हुआ।
सकारात्मक प्रभाव :- प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी परिवर्तनों ने दुनिया को वास्तव
में एक वैश्विक ग्राम बना दिया है। इसका प्रभाव हमें कृषि परिवहन ,शिक्षा के क्षेत्र में भी हुए
क्रांतिकारी परिवर्तनों के रूप में देखने को मिलता है।
नकारात्मक प्रभाव :- सूचना क्रांति के इस दौर में साइबर क्राइम या सूचना प्रौद्योगिकि द्वारा
होने वाले आर्थिक अपराध के चिंता के नए विषय है। अगला विश्वयुद्ध साइबर युद्धों का हो
सकता है।
निष्कर्ष :
इस प्रकार हम कह सकते है कि वैश्वीकरण पर उपरोक्त चर्चा से हमें ज्ञात होता है कि
वैश्वीकरण का मानव जीवन के समस्त क्षेत्रों में व्यापक बदलाव आया है। एक तरफ शासन
व्यवस्था ,दूरसंचार ,शिक्षा ,स्वास्थ्य क्षेत्र में हुए क्रांतिकारी परिवर्तनों ने मानव जीवन को
सरल और सुविधा युक्त बना दिया है ,वहीँ दूसरी तरफ गरीब राष्ट्रों को कमजोर बना दिया।
उनके रोजगार ,स्वास्थ्य ,शिक्षा ,आवास ,जैसी मुलभुत आवश्यकताओं की पूर्ति एंव गुणवत्ता
में आई गिरावट देखने को मिलती है।
वैश्वीकरण एक ऐसी स्थिति है जिसका निर्माण करना ,जिसमे विभिन्न राष्ट्रों के बीच पूंजी /धन
का स्वतंत्र प्रवाह हो सके।