हिंदी के प्रचार -प्रसार में विभिन्न संस्थाओं का योगदान बतावों।
उतर - वर्तमान में हिंदी विश्व की तीन सबसे बड़ी भाषाओं में शुमार है तो केवल इसलिए कि
इसके विकास के लिए सरकारी और गैर -सरकारी संस्थाओं द्वारा हिंदी का जो
मानकीकरण ,प्रचार -प्रसार और विस्तार आरंभ हुआ उसी से हिंदी वैश्विक स्तर पर चर्चित
हुई। संस्थानों द्वारा हिंदी को बढ़ावा दिया जाता है।
हिंदी के प्रचार -प्रसार में संस्थानों की भूमिका :-
आर्य समाज :- आर्य समाज भारतीय समाज और जनजीवन को दिशा प्रदान करने का
सबसे बड़ा माध्यम बन चूका है। शिक्षा जगत में आज डी.ए.वी. सिर्फ उच्च शिक्षा नहीं देती ,
हिंदी भाषा के लिए प्रतिबद्धता से कार्य भी करती है। विद्यार्थियों के अंदर हिंदी के प्रति
आस्था का भाव पल्ल्वीत -पुष्पित भी करती है। दयानन्द स्वयं हिंदी के विद्यवान और वक्ता
रहें।
नागरी प्रचारिणी सभा :- नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना हिंदी के विख्यात साहित्यकार
बाबू श्यामसुंदर दास ने 16 जुलाई 1893 में की थी। बाबू श्यामसुंदर दास ,पंडित
रामनारायण मिश्र और ठाकुर शिव कुमार सिंह ने मिलकर नागरी प्रचारिणी सभा का
विस्तार दिया। नवजागरण काल के दौर में हिंदी जब हाशिए पर खड़ी थी तब इन लोगों ने
मिलकर हिंदी को आम जनता की भाषा बनाने का कार्य किया। आज नागरी प्रचारिणी सभा
का नाम पुरे विश्व में जाना जाता है।
दक्षिणी भारत हिंदी प्रचार -सभा :- दक्षिण में हिंदी का मजबूत आधार बनाने के लिए
महात्मा गाँधी को प्रथम प्रचारक बनाकर महात्मा गाँधी को वहाँ भेजा गया। हिंदी को आज
अंतराष्ट्रीय पटल पर विश्व की सबसे बड़ी भाषाओं में माना जा रहा है तो इसका एक बड़ा
कारण महात्मा गाँधी भी है।
साहित्य अकादमी
साहित्य अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारतीय भाषाओं की महत्वपूर्ण संस्था है
जिसके द्वारा देश भर की साहित्यक गतिविधियों ,आयोजन और विभिन्न भारतीय भाषओं
की पुस्तकों का प्रकाशन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय भाषाओँ में
महत्वपूर्ण कार्य करने वाले साहित्यकारों को सम्मानित करना ,उनकी पुस्तकों का प्रकाशन
करना तथा देशभर में होने वाले साहित्यिक गतिविधियों में आर्थिकसहायता करना है। ,
हिंदी अकादमी ,दिल्ली
हिंदी के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाली इस संस्था का उद्देश्य हिंदी के साहित्यकारों की
कृतियों का प्रकाशन ,पुरस्कार और सम्मान देना है।
उतर प्रदेश हिंदी संस्थान
उतर प्रदेश हिंदी संस्थान पूरी तरह से हिंदी के प्रचार -प्रसार में संलग्न संस्था है। उतर प्रदेश
हिंदी संसथान की स्थापना 30 दिसंबर 1976 में हुई। हिंदी के प्रतिभाशाली लेखकों ,सेवियों
तथा प्रचारकों को विशेष रूप से सम्मानित कर यह संस्था हिंदी को लोकप्रिय बनाने का
कार्य करती है। संस्कृत तथा अन्य भारतीय भाषाओं से हिंदी को जोड़ने में इस संस्था का
विशेष महत्व है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान ,आगरा
आजादी के पश्चात् हिंदी भाग के प्रचार -प्रसार में जिन सरकारी संस्थाओं ने वैश्विक स्टार
पर निर्णायक कार्य किया। उसमे आगरा स्थित 'केंद्रीय हिंदी संस्थान " के महत्वपूर्ण
भूमिका उल्लेखनीय है। इसका मुख्य कार्य शिक्षण द्वारा हिंदी भाषा का विकास करना है।
केंद्रीय हिंदी निदेशालय एंव वैज्ञानिक तथा तकनिकी शब्दावली
केंद्रीय हिंदी निदेशालय एंव वैज्ञानिक तथा तकनिकी शब्दावली आयोग दिल्ली की प्रमुख
संस्थाएं है जो हिंदी भाषा के विकास में बड़े स्तर पर कार्य कर रही है।
मातृभाषा उन्नयन संसथान
हिंदी भाषा को वैश्विक स्तर पर प्रचारित और प्रसारित करने में इस संस्था का महत्वपूर्ण
भूमिका है। विशेष रूप से हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कई तरह का आंदोलन करती
रही है।
असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति ,गुवाहटी
भारतीय भाषा परिषद् हिंदी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली संस्था है।
मुक्त शिक्षा विद्यालय ,दिल्ली विश्वविद्यालय
भारत में कई केंद्रीय विश्वविद्यालय और राज्य सरकारों के अन्य विश्वविद्यालय पत्राचार के
माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को उच्च शिक्षा की सुविधा देने का प्रयास कर रहा है।
इंदिरा गाँधी राष्ट्रिय मुक्त विश्वविद्यालय
इग्नू के वेबसाइट पर हिंदी माध्यम में विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रमों की पाठ्य सामग्री
मौजूद है। इसकी सहायता से ई -लर्निंग देश भर में गति दी जा रही है।
परिकल्पना संस्था जैसी गैर संस्था भी हिंदी की प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
इस प्रकार देखे तो हिंदी वर्तमान में विश्व की सबसे समृद्ध भाषा का रूप ले चुकी है। देश के
वरिष्ठ पत्रकार ,साहित्यकार ,राजनेता तथा प्रशासनिक अधिकारी भी अब हिंदी बोलने से
हिचकते नहीं है।
सरकारी ,गैर सरकारी संस्थाओं तथा ई -माध्यमों द्वारा हिंदी लगातार आगे बढ़ रही है।
किसी भी भाषा के विकास और विस्तार में संस्थाओं के साथ लगातार प्रगति के नए मार्ग
प्रशस्त कर रही है।