विश्व स्तर पर हिंदी भाषा की स्थिति पर विचार कीजिये

  विश्व स्तर पर हिंदी भाषा की स्थिति पर विचार कीजिये। 

 हम देखते है कि हिंदी विश्व के तीस से अधिक देशों में पढ़ी -पढाई जाती है ,लगभग 100 

विश्वविद्यालयों में उसके लिए अध्यापन केंद्र खुले हुए है। अकेले अमरीका में लगभग 20 केंद्रों 

में उसके अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था है। हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा 

बनकर उभरी है और जितना अधिक हम हिंदी और प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग शिक्षा ,ज्ञान 

,विज्ञानं ,प्रौद्योगिकि आदि में करेंगे उतनी ही तेज गति से भारत का विकास होगा। आज 

विदेशों में अनेक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढाई जा रही है। वैश्वीकरण से हिंदी भषा प्रभावित 

हुई है। वैश्वीकरण ने भारत के आर्थिक परिदृश्य तो परिवर्तित किया ही ,इसके साथ -साथ 

यहाँ के सामाजिक -आर्थिक और सांस्कृतिक परिवेश को भी अत्यधिक प्रभावित किया। 

इस  बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि वैश्वीकरण ने भारतीय संस्कृति एंव हिंदी 

भाषा के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वैश्वीकरण के फलस्वरूप सम्पूर्ण विश्व का 

ध्यान हिंदी भाषा पर पड़ी। हिंदी विश्व की प्रमुख भाषा है। इसका एक हजार वर्ष का सुदीर्घ 

इतिहास है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार यह भारत संघ की राजभाषा 

है। हिंदी भारत की संपर्क भाषा ,राष्ट्रभाषा ,10 राज्यों की भारतियों की मातृभाषा है। अब 

यह विश्व भाषा बनने की ओर अग्रसर है। हिंदी को विश्व का स्थान दिलाने में अन्य कारणों के 

साथ -साथ विश्व हिंदी सम्मेलनों का महत्वपूर्ण स्थान है। आज हिंदी की स्थिति इतनी अच्छी 

है की हम विश्व हिंदी सम्मलेन मना रहे है। विश्व भाषा के रूप में हिंदी को प्रतिष्ठित करने में 

विश्व हिंदी सम्मेलनों का विशेष महत्व रहा है। विश्व हिंदी पुरस्कार और विश्व हिंदी पत्रिका  

का प्रारम्भ भी  इन सम्मेलनों की उपलब्धि कही जा सकती है। इस उद्देश्य से अभी तक 

ग्यारह विश्व सम्मलेन आयोजित किए जा चुके है। 

 विश्व स्तर पर हिंदी भाषा की स्थिति :-

  • भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर 1949 को भारत की राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया था। हिंदी जन साधारण द्वारा बोली जाने वाली एक सरल भाषा है। हिंदी पुरातन भी और आधुनिक भी। इसी विशेषता के कारण हिंदी को भारत की राजभाषा का सम्मान प्राप्त है। 
  • आज वैश्वीकरण के दौर में हिंदी का महत्व और भी बढ़ गया है। हिंदी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। आज विदेशों में अनेक विश्वविद्यालयों में हिंदी पढाई जा रही है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों म हिंदी लिखी जा रही है। 
  • जितना अधिक हम हिंदी और प्रांतीय भाषओं का प्रयोग शिक्षा,ज्ञान -विज्ञानं ,प्रौद्योगिकी आदि में करेंगे उतने तेज गति से भारत में विकास होगा। 
  • हिंदी भारतवर्ष की विविधता में एकता का भी प्रतिक है। गुरुदेव रविंद्रनाथ ठाकुर ,महात्मा गाँधी ,पंडित नेहरू ,मौलाना अबुल कलाम आजाद ,नेताजी सुभाष चंद्र बोस ,सरदार पटेल ,ड्रॉ आंबेडकर ,सी राजगोपालाचारी जैसे महापुरषों ने हिंदी को भारत की संपर्क भाषा के रूप में अपनाकर आजादी की लड़ाई लड़ी थी। 
  • हिंदी भारतीयता की चेतना है तथा सभी प्रांतीय भाषओं की संपर्क भाषा  की भूमिका निभाती है। हिंदी और भारतीय प्रांतीय भाषाओं के साहित्य के परस्पर अनुवाद को हमें बढ़ावा देना होगा। 
  •  लोगों को एक -दूसरे के ऐतिहासिक ,साहित्यिक तथा सांस्कृतिक पहलुओं का ज्ञान प्राप्त होगा। भारत में लोग जब यह समझेंगे कि हमारा अतीत और वर्तमान और हमारा साहित्य और संस्कृति एक है ,तब राष्ट्रिय एकता की भावना मजबूत होगी ,
  • भारत सरकार द्वारा विकास योजनाओं तथा नागरिक सेवाएं प्रदान में हिंदी के प्रयोग को को बढ़ावा दिया जा रहा है। हिंदी तथा प्रांतीय भाषओं के माध्यम से हम बेहतर जान सुविधाएं लोगों तक पहुंचा सके। 
  • इसके साथ ही विदेशी मंत्रालय द्वारा विश्व हिंदी सम्मलेनों के माध्यम से हिंदी को अंतराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का कार्य किया जा रहा है। इसके अलावा प्रत्येक वर्ष सरकार द्वारा प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है जिसमे विश्व भर में रहने वाले प्रवासी भारतीय भाग लेते है। 
  • विश्व हिंदी सचिवालय विदेशों  में हिंदी का प्रचार -प्रसार करने और संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को आधिकारिक भाषा बनाने के लिए कार्यत है। 
  • सरकार द्वारा हिंदी में अच्छे कार्य के लिए राजभाषा कीर्ति पुरस्कार योजना के अंतर्गत शील्ड प्रदान की जाती है। हिंदी में लेखन के लिए राजभाषा गौरव पुरस्कार का प्रावधान है। आधुनिक ज्ञान -विज्ञानं में हिंदी में पुस्तक लेखन को प्रोत्साहन देने के लिए भी सरकार पुरस्कार प्रदान करती है। इन प्रोत्साहन योजनाओं से हिंदी के विस्तार को बढ़ावा मिलेगा। 
  • हिंदी की शक्ति और क्षमता से हम भली -भांति परिचित है। महात्मा गाँधी ने कहा था ,कि  राष्ट्रिय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है। 
  • विगत 4 दशकों में भारत में वैश्वीकरण के बढ़ते विस्तार के हिंदी पर सकारात्मक और नकारत्मक दोनों प्रकार के प्रभाव दृष्टिगोचर होते है। एक ओर  हिंदी का विस्तार हिंदी भाषी प्रदेश से आगे बढ़कर देश के विभिन्न भागों में हुआ ,वहीँ दूसरी ओर विदेशों में भी हिंदी का प्रचार -प्रसार तीव्र गति से हुआ। पिछले चार दशकों में 11 में से 9 विश्व हिंदी सम्मेलनों का भारत सहित विभिन्न देशों में आयोजन और उनके विभिन्न देशों में आयोजन और अनेक गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा विश्व में अनेक अंतराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलनों के माध्यम से हिंदी के पक्ष में सकारत्मक वातावरण बनाना ,विश्व हिंदी सचिवालय और महात्मा गाँधी अंतराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों की स्थापना भारत के बाहर बॉलीवुड और हिंदी धारावाहिकों की धमक ,प्रवासी हिंदी साहित्य का अभूतपूर्व विकास ,विदेशों में हिंदी पत्र -पत्रिकाओं का प्रकाशन और रेडिओ चैनलों का विस्तार आदि अनेक ऐसी सकारात्मक स्थितियां बनी है ,जो हिंदी पर वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव की घोषणा करती है। हम उपरोक्त तथ्य को देखते हुए यह कह सकते है कि विश्व स्तर पर हिंदीभाषा मजबूत और अच्छी स्थिति में है।  
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