- बौद्ध धर्म के 8 अष्टांगी मार्ग - (i ) सम्यक दृष्टि (ii ) सम्यक संकल्प (iii ) सम्यक वाणी /भाषा (iv ) सम्यक जीविका (v ) सम्यक कर्माता (vi ) सम्यक यादाश्त (vii ) सम्यक व्यायाम (viii ) सम्यक समाधी
- बौद्ध धर्म की चार संगीति हुई थी। जो निम्नलिखित है -
- पहली बौद्ध संगीति 483 B.C. में हुई थी। यह राजगीर में हुआ था। उस समय आजदशत्रु राजा थे। इसकी अध्यक्षता "महाकश्यप " ने की थी।
- दूसरी बौद्ध संगीति 383 B.C. में हुई थी। यह वैशाली में हुई थी। उस समय कालाशोक राजा थे। इसकी अध्यक्षता "शवकमीर " ने की थी।
- तीसरी बौद्ध संगीति 255 B.C. में हुई थी। यह पाटलिपुत्र में हुई थी। उस समय अशोक का शासन था। इसकी अध्यक्षता "मोखलिपुटिस " ने की थी।
- चौथी बौद्ध संगीति पहली सदी में हुई थी। यह कुण्डलवन (जम्मू -कश्मीर ) में हुई थी। इस समय राजा कनिष्क का शासन था। इसकी अध्यक्षता "वसुमित्र "ने की थी। इस समय उपाध्यक्ष "अश्वघोष "थे।
- चौथी बौद्ध संगीति में बुद्ध धर्म दो भागों में बंट गया था - (i ) महायान (ii )हीनयान
- महायान -इनका सिद्धांत है हम बहुत महान है।
- हीनयान - बौद्ध धर्म का सिद्धांत है कि "सिद्धांत " ही मानते है।
- महात्मा बुद्ध का 10 उपदेश - (i ) क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। क्रोध खुद को जलाता है। (ii ) किसी के प्रति नफरत और ईर्ष्या रखने से कोई जीवन में कोई भी ख़ुशी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। (iii ) शक से बचना चाहिए (iv ) अज्ञानी व्यक्ति से कभी भी बहस और उलझना नहीं चाहिए (v ) नहीं सुख स्थायी है और नहीं दुःख। (vi ) जो समय बीत गया है उसको याद नहीं करना चाहिए ,भविष्य के सपने नहीं देखने चाहिए बल्कि वर्तमान में ध्यान केंद्रित होना चाहिए। (vii ) व्यक्ति अपने अच्छे और बुरे सेहत के लिए खुद जिम्मेदार है (viii ) जीवनभर बिना ध्यान के साधना करने की अपेक्षा जीवन में एक दिन समझदारी से जीना। (ix ) मनुष्य भी बिना आध्यात्मिक जीवन के जी नहीं सकता है। (x ) सूर्य ,चन्द्रमा और सत्य कभी छुप नहीं सकता है।
- महात्मा बुद्ध के 3 दर्शन - (i ) अनीश्वरवाद (ii ) अनात्मवाद (iii ) क्षरिकवाद
- महात्मा बुध के तीन रत्न - (i ) बुद्ध (ii ) धम्म (iii ) संघ
- 483 ई.पु.. में महात्मा बुद्ध का मृत्यु हो गयी। जिसे महापरिनिवार्ण कहा जाता है। उनका मृत्यु कुशीनगर (उत्तरप्रदेश ) में हुआ था। इस समय मलय महाजनपद था।
- महात्मा बुद्ध की मृत्यु कलश आठ स्थानों पर गया था जिसे अष्टमहास्थान कहा जाता है।
- बौद्ध धर्म का पतन का कारण व्रजयान शाखा
- बौद्ध धर्म के प्रतिक - (i ) हाथी - गर्भ (ii ) कमल -जन्म (iii ) सांढ़ -युवावस्था (iv ) घोड़ा - गृह त्याग ,महाभिनिष्करणं (v ) बोधिवृक्ष - सम्बोधन ,ज्ञान प्राप्ति (vi ) चक्र - उपदेश ,धर्मचक्र प्रवर्तन (vii ) महापरिनिर्वाण - स्तूप (viii ) निर्वाण - पदचिन्ह
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म में अंतर - (i ) दोनों धर्म ईश्वर में विश्वास नहीं करते है (ii ) दोनों धर्म मूर्तिपूजा में विश्वास नहीं करते है (iii ) दोनों धर्म कर्मकांड पर विश्वास नहीं रखते है। (iv ) ये दोनों धर्म पुनर्जन्म में विश्वास रखते है। (v ) ये दोनों धर्म मोक्ष में विश्वास रखते है। (vi ) बौद्ध धर्म इच्छा ,जैन धर्म आत्मा। (vii ) बौद्ध धर्म की भाषा पाली थी और जैन धर्म की भाषा प्रकृति थी। (viii ) बौद्ध धर्म सरल मार्ग को अपनाते है और जैन धर्म कठोर मार्ग अपनाते है। (ix ) बौद्ध धर्म महिला को बढ़ावा देता है और जैन धर्म महिला का बढ़ावा नहीं देते है। (x ) बौद्ध धर्म वस्त्र पहनते है और जैन धर्म वस्त्र नहीं पहनते है। (xi ) इस धर्म की स्थापना गौतम ने की थी और महावीर स्वामी ने जैन धर्म की स्थपना किये थे। (xii) दोनों धर्म अहिंसा पर विश्वास रखते है जैन धर्म अपेक्षाकृत कठोर नियम अपनाता है। (xiii ) बौद्ध धर्म ब्रह्मचर्य को नहीं मानते है और जैन धर्म ब्रह्मचर्य को मानते है।
हिन्दू धर्म
- वर्तमान हिन्दू धर्म गुप्त वंश की देन है
- आजीवक -इस धर्म के संस्थापक मोगलिपिटस गोसाद है
- भागवत - इस धर्म के संस्थापक वासुदेव है
- शैव -इसे मानने वाले "पशुपति " , "कापालिक (नागा साधु ) " और " लिंगायत (कर्णाटक )" है।
- वैष्णव - ये शाकाहारी होते है और अहिंसा को मानते है।
- चन्द्रगुप्त मौर्य जैन धर्म को अपनाया था।
- बिन्दुसार ने आजीवक धर्म को अपनाया था।
- बौद्ध धर्म को अशोक ने अपनाया था।
महाजनपद
- पाकिस्तान के प्रमुख महाजनपद "गांधार " था।
- दक्षिण भारत के प्रमुख महाजनपद "माहिसमति " था।
- कुल 16 महाजनपद था।
- सोलह महाजनपद को याद करने का तरीका "हसीन मसूक सा " - ह -हर्यक वशं , सी -शिशुनाग वंश ,न -नन्द वंश , म -मौर्य वंश , स - शुंग वंश , क -कण वंश , सा - सातवाहन वंश
- मगध महाजनपद में 16 महाजनपद थे।
- इसकी चर्चा अंगुत्तरनिकाय (बौद्ध ), भगवती सूत्र (जैन ) में है।
- गंधार की राजधानी तक्षशिला थी।
- कम्बौज की राजधानी हाटक थी। यह अफगानिस्तान में था।
- कुरु की राजधानी इद्रप्रस्थ (दिल्ली ) था।
- मतस (राजस्थान ) की राजधानी विराटनगर थी।
- मगध महाजनपद -इसका पहला राजा वृहद्रथ था। इसके बाद इसका बीटा जरासंघ बना। इसकी लड़ाई भीम से हुई थी। इस युद्ध का नाम मलय युद्ध था। इसका बेटा सहदेव था। इसका बेटा रुपंजय था। इनका साक्ष्य नहीं मिला।
- इसलिए मगध का वास्तविक राजा और संस्थपाक और वंश हर्यक वंश था। हर्यक वंश का पहला राजा बिम्बिसार था। इसने अपनी राजधानी राजगीर को बनाया। राजगीर का पुराना नाम राजगृह था। बिम्बिसार ने अवंतिका (मध्यप्रदेश ) को अपने राज्य में मिला लिया। इसने किसी भी बाप की एकलौती बेटी से शादी कर लेता था। यही माध्यम अपनाया किसी भी राज्य को मिलाने के लिए। इसने वैशाली पर आक्रमण किया। इसके बेटा का नाम आजादशत्रु था।
- आजादशत्रु इसने अपने पिता की हत्या कर गद्दी पर बैठ गया। जिसे पितृहन्ता कहते है। इसने राजगीर को किले से घिरवा दिया। इसने दो नए हतियार का प्रयोग किया। पहला था रथमसुल और दूसरा हतियार था "महाशीलकण्टक। इसने वैशाली को जितने के लिए वर्षकार गुप्तचर को भेजा था। इसका बीटा का नाम उदयिन था।
- उदायिन ने पटना को अपना राजधानी बनाया।
- नागदशक -इस वंश का अंतिम शासक था। इसका सेनापति का नाम शिशुनाग था। इसने नागदशक की हत्या कर दी।
- शिशुनाग वंश - इसका पहला राजा शिशुनाग था इस वंश का योग शासक कालाशोक था। इसने द्वितीय बौद्ध संगीति कराइ थी।
- कालाशोक - शिशुनाग वंश का अगला शासक था। इसने अपनी राजधानी वैशाली को बनाया।
- नंदिवर्मन -इस वंश का सबसे अयोग्य शासक। यह अंतिम शासक था। इसका सेनापति का नाम महापद्मनंद था इसने नंदी वर्मन की हत्या कर दिया।